औषधीय गुणों की खान है मकोय

मकोय औषधीय महत्व की एक ऐसी वनस्पति है जो कहीं भी बड़ी आसानी से मिल जाएगी। पर ये अपनी पहचान खोती जा रही है। खर पतवारों के साथ उगने वाला ये पौधा प्राचीन समय से अपने औषधीय महत्व की वजह से एक खास स्थान रखता है। गाँव घरों में दादी नानी के समय में बहुत सी बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब होता था जिसका प्रचलन अब कम होता जा रहा है। जबकि प्राचीन ग्रन्थों तक में इसके औषधीय गुणों का वर्णन है।

मकोय का पौधा मिर्च के पौधे के जैसा छोटा होता है इसकी पत्तियों और फल दोनों का भोजन में उपयोग होता है। मकोय का फल आकार में बहुत छोटा गोल, मटर के दाने से थोड़ा छोटा होता है। इसकी दो प्रजातियाँ प्रचलित हैं जिनका आहार में इस्तेमाल होता है। दोनों प्रजातियों के पके फल का रंग अलग होता है। एक का पका फल काला और दूसरे का मिश्रित नारंगी-लाल होता है। दोनों का ही कच्चा फल हरे रंग का होता है।

देश के विभिन्न क्षेत्रों में मकोय की पत्तियों और फल का कई व्यंजनों में उपयोग होता है। लोग इसका सब्जी, चटनी, साग, सूप, सगपइता, सांभर, वेजीटेबल राइस बनाने में उपयोग करते हैं। इसके पके फल को लोग ऐसे भी खाते है।

मकोय को विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न नाम से जाना जाता है इसे बंगाली में काकमाची (Kakmachi), गुजराती- पिलुडी (Piludi), कन्नड़- गनिका (Ganika), मलयालम और तमिल- मनतक्कली (Manathakkali), तेलगु- कमांचि (Kamanchi) कहते हैं।

पोषण की दृष्टि से: मकोय मिनेरल्स का अच्छा स्रोत है। इसमे आयरन, कैल्शियम, फोस्फोरस, सोडियम, ज़िंक और मैगनीशियम प्रमुख हैं। इसमे विटामिन सी और नियसिन भी काफी अच्छी मात्रा में होता है। इसमे थायमिन, राइबोफ्लेविन भी पाया जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर मकोय इनका बहुत ही सस्ता स्रोत है। मकोय के फल और पत्तियों का पोषक मान भिन्न होता है।

विटामिन और मिनेरल्स सयुंक्त रूप से शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र की सुचारु क्रिया, ऊर्जा निर्माण, हड्डियों और दाँतों के निर्माण और मजबूती, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र की सुचारु क्रियाशीलता के लिए और शरीर के द्रव्य संतुलन (फ्लुइड बैलेन्स) के लिए ज़रूरी होते हैं।

पोषण से भरपूर मकोय औषधीय गुणों से भी भरपूर है। उपलब्ध प्राचीन जानकारियों के विश्लेषण और शोध बताते हैं की मकोय :  मधुमेहरोधी, कैंसररोधी, शोथरोधी, रोगाणुरोधी, एंटीसीज़र्स (दौरों की रोकथाम वाला) दर्दनाशक, मूत्र को बढ़ाने वाला, एंटिऑक्सीडेंट, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला है।

मकोय लिवर और हृदय को सुरक्षा प्रदान करने वाला है। यह बढ़े हुए यकृत और तिल्ली (एनलार्ज्ड लिवर एंड स्प्लीन) के इलाज़ में कारगर है। यह पीलिया, मुँह और पेट के अल्सर, और अस्थमा के इलाज में बहुत उपयोगी है। दस्त, दाँत और कान के दर्द, गठिया, जठर रोगों (गैस्ट्रिक डिज़ीजेज़), मूत्र विकार, पाइल्स, त्वचा रोगों और रतौंधी के इलाज़ में भी इसका उपयोग लाभकारी है। मकोय पाचन क्षमता और भूख बढ़ाने वाला एवं रक्त शोधक भी है।

मकोय की पत्तियाँ और बीज भिन्न औषधीय गुण प्रदर्शित करते हैं। 

नोट: किसी भी नए भोज्य पदार्थ को अपने भोजन मे शामिल करने से पहले या भोज्य पदार्थ को नियमित भोजन (रूटीन डाइट) का हिस्सा बनाने से पहले अपने डाइटीशियन, और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

चित्र साभार : इंटरनेट

मकोय का पौधा
मकोय के पके फल (काली मकोय)
मकोय का कच्चा और पका फल (लाल मकोय)

Leave a comment